क्या तुम लौटा पाओगे मुझे
वो सावन जो तुम्हारे इंतज़ार में
बिना बरसे ही लौट गया
क्या तुम लौटा पाओगे मुझे
वो सवेरा जोे दीदार की चाह
में कभी हो नहीं पाया
क्या तुम लौटा पाओगे मुझे
वो इंतज़ार जो बेवज़ह
मेरी आँखों में घिर आया
क्या तुम लौटा पाओगे मुझे
वो दरिया जो तुम्हारे प्यार में
झील सा रुक गया
क्या तुम लौटा पाओगे मुझे
वो सब कुछ जो कभी मेरा था
पर अब तुम्हारा हो गया ।
- शालिनी पाण्डेय
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