उस रोज
जब तेरी
जलती सिगरेट
कोे अपने होठों
पे रखकर मैंने
पहला कश लिया
मैंने चखना
चाहा था तेरे
भीतर के दर्द को
अपने होठों से।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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