मानो एक ही रेखा के
दो छोर से है
स्त्री और पुरुष
जो कि
अपने अड़ियल पन में
विपरीत दिशाएँ अपनाकर
फासले की खाईयों को जन्म देते है
और
अपने लचीले स्वभाव में
अनुकूल दिशाएँ अपनाकर
एक दूसरे को सम्पूर्ण करते है।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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