हर वाक़ये पर
कैसे तुम मुझे
अलग अलग
तराजुओं में
तोल देते हो
आज मैं तुमसे
विनती करती हूं
बाहर की सूचनाओं
को आधार बना
मुझे तोलना बंद करो
जब तुमने कभी मेरे
भीतर की चेतना की ओर
झांका ही नहीं और
सृजन के कारक को
पहचाना ही नहीं
तो तुम कैसे मेरी
तुलना कर सकते हो?
-- शालिनी पाण्डेय
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