पलकों से खुद को
ढक कर, आंखें
ख़्वाब पालती हैं,
ढक कर, आंखें
ख़्वाब पालती हैं,
पलकें उठाकर,
आंखें, यादों के
धागे बुनती हैं...
आंखें, यादों के
धागे बुनती हैं...
और
बीते लम्हों के
टुकडें लिए,यादें
टुकडें लिए,यादें
जीवन भर
साथ चलती हैं।।
साथ चलती हैं।।
- शालिनी पाण्डेय
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