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Showing posts from 2017

तुम अब सिर्फ तुम नही रहे

तुम ख़्वाब हो, और हकीकत भी । तुम ही खुशी हो, और गम भी । मुस्कुराहट भी तुमसे है, और आँसू भी । प्यार भी तुमसे है, और शिकायतें भी। बातें भी तुम्हारी है , और खामोशी भी। यथार्थ भी तुम्हा...

रिश्ते का द्वंद

तुम रहते हो पास मेरे खुशी और गम में साथ मेरे, कभी पलकों में छुप जाते हो, कभी आंखों में उतर आते हो, एक पल को साँसों में समाते हो, मीठी सी मुस्कान बन आते हो, कभी अन्तर्मन को छू जाते ह...

यूं ही रहने दे

तेरी खुशबू की छांव में, कुछ देर खोये रहने दे। पन्नों को पलटते हुए, अहसास को साज देने दे। निकलते मधुर संगीत को, अंतर्मन तक छू लेने दे। इन रंगों से उभरते चित्र से, तेरा एक रूप बुन ...

नन्ही खुशियां

कितना प्यारा एहसास है खुशी खुशी खुद को बेहतर बनाने की खुशी हरदिन कुछ सीखने की खुशी आगे बढ़ने की खुशी प्रयास रत रहने की खुशी हार ना मानने की खुशी बरसात में भीग जाने की गहराई स...

ठहरा हुआ सा मन

चली हूँ आज एक सफर पर जो बना है टेढ़े रास्तों से कल कल करती नदियों से झर झर झरते झरनों से सर सर करती पवन से हरी हरी हरियाली से बूंद बूंद बरसते बादलों से बहुत से पड़ाव आये इस सफर में...

कुछ खो रहा है

आज फिर बैचैनी है भावों का सैलाब उमड़ रहा है दिल बहुत भारी है कुछ पी कर मानो भर गया है पतझड़ के पेड़ की तरह पक गए पल टूटकर गिर रहे है मुरझाई वल्लरियों जैसे कुछ हिस्से बेरंग हो रहे ह...

मैं जादूगर बन गई हूं

तेरी यादें इस क़दर मुझमें समाई जैसे कि हवा सांसो में कमरे में फैली है ऐसे तन्हाई जैसे हो लालिमा आकाश में बिन बरसात होते इन्द्रधनुस से नज़ारे आंखे तो बस पलकों में बसे रूप निहा...

बहती पवन

मदमस्त होकर बहती पवन ले चल कभी मुझे भी सैर पर सीखू मैं भी बिन पंख उड़ने की कला रुका हुआ सा ये शहर अब लगता बेवफा तू कितनी मौज में रहती कभी कोई ठिकाना ना बनाती बस डोलती यहाँ से वहा...

तू है यादों की एक पोटली

तू है यादों की एक पोटली जिसे सहेजे हुए हूँ मैं बरगद सी विशाल तेरी बाहें जिनमें ख्वाबों के झूले झूल रही हूँ मैं करती हूं यकी वो पल कभी तो आयेगा जो तुझे मेरे होने का अहसास कराय...

धरती की वेदना

अंगारों सी तप्त थी धरती जल रही थी ज्वाला समान कई बरसों से थी वो प्यासी रूदन करती थी वो चलायमान उसके शीश का मुकुट, जो था हरा भरा सुख कर हो गया था जर्जर संतृप्ति उसकी करोड़ों संत...

निभाओ दस्तूर

निभाओ दस्तूर तुम दुनिया का निभाएंगे हम भी डूबे रहो यादों के शहर में भीग लेंगे हम भी बंधे रहो क़ैद में परम्परों की रह लेंगे हम भी धरे रहो मौन रखे रहो चुप्पी सी लेंगे होठों को ह...

इन यादों में बेशक़ तुम हो

कैसे ना याद करूं उन गलियों को जिनपर एक रोज तुम मिले कैसे छोड़ दूं उन ख्वाबों को जिनमें शुरू हुए वो हसीन सिलसिले कैसे भुला दूँ वो बातें वो रातें जो तुम्हारे सिरहाने बैठकर बित...

टुकड़ों से बन रही मैं

बना रही थी मैं खुद को टुकड़ों को जोड़ कर कुछ टुकड़े थे छोटे कुछ बड़े कुछ थे मिट्टी में दूर गड़े कुछ मिल गये यूं ही राह पर चलते देर में मिले वो जो थे रंग बदलते टुकड़े कुछ थे जो टूटे हुए ...

किताबों वाली मेरी दुनिया

मैं खो सी जाती हूँ अपनी सुध बुध जब हो जाती हूँ तल्लीन इनमें दुःख दर्द सब छोटे लगते जब निगाहें टिक जाती हैं इनमें बातें पुरानी सब धरी रह जाती यादें वो तकलीफों वाली गुम हो जाती...

ललचाई निगाहें

आज मुलाकात हुई एक चिड़िया से वो चिड़िया जिसके पंख कतर कर रख दिये है किसी मखमली से रूमाल में लपेटकर और लटका दिए गए है किसी इमारत से सभ्यता संस्कृति जैसे लुभावने नाम देकर इसके स...

सुलगते सपनें

सुलगते हुए सपनें पूछते है मुझसे बार बार क्या कभी छत होगी सिर पर कभी खिल पाएंगे कली जैसे या फिर यूं ही बंजारा बन दर ब दर डोलते रहेंगे? सूरज के ढ़लते ही शाम की दस्तक़ के साथ इनका रु...

बची कुची मौज

मिट्टी का बना वो घरोंदा एक बड़ा सा आँगन पास खड़ा आम का पेड़ उसकी डाली पर लटकता माँ की साड़ी वाला झूला जिस पर झूलते थे हम सर्दी, लू , बारिश के मौसम दूर तक फैले वो खेत जो थे कही हरे कही प...

परिवर्तनशीलता

कभी है मोम सी कोमलता तो कभी शिला सी कठोरता एक पल शांत निश्चल बहती धार फिर भादों सी उफनती नदी होती हूँ अग्नि सी ज्वलंत फिर पूस सी संवेदनशून्य हो जाती हूँ रंगीन इंद्रधनुष तो ...

जिंदगी तेरा शुक्रिया

मैं कुछ किताबें मेरी क़लम ग़ज़लें और ढेर सारा समय जो अब हैं सिर्फ मेरा ये मुझे जन्नत से कम नही लगता वाह! जिंदगी तेरा शुक्रिया। देख पा रही हूं अब तुझे बारीकी से इतने करीब से कि पह...

प्यारा दर्द

ये दर्द इतना प्यारा है कि घंटों डूबे रहने को जी चाहता है अब तो चाहत है कि ये सारा मेरे भीतर ही समा जाए और इस कदर ठहर जाए जैसे ठहर जाता है आदमी इश्क़ में -शालिनी पाण्डेय

भावनाओं की चादर

बेफिक्र हो तुम आज़ाद हो तुम भावनाओं से परे हो तुम और मैं एकदम विपरीत ना बेफिक्र हो पाती हूँ ना आज़ाद ही जी पाती हूँ भावनाओं की चादर मैंने इस कदर ओढ़ ली है कि कुछ और अनुभव ही नही कर ...

एक पहेली

कितना मुश्किल है यथार्थ में जीना कितना मुश्किल है सच को स्वीकारना कितना मुश्किल है स्वयं को समझना ये सब है एक पहेली सा जैसे ही लगता है अब सब सुलझेगा और उलझ जाता है मैं भी उल...

मुझे उड़ जाने दो

ऐ मेरे पावों में पड़ी बेड़ियों टूटो अब ये जकड़न बर्दास्त नहीं होती क्यों मुझे बाँधने की कोशिश करते हो क्या पाओगे बंदीे मृत मानव से क्यों मुझे संजोए रखना चाहते हो मैं कोई निष्...

भावुकता

भावनाओं की राह पर चली भावनाओं से भरी थी अब भावनाओं से ऊब चुकी है कितनी पाक थे वो भाव जिनसे उसने गले लगाया उस अजनबी को भावुकता भी अजीब बचपना है बिना जोड़ भाग किये तुम कांच का एक ...

रिश्ते

रिश्ते जिन्हें बनाने में बरसों बीत जाते जब टूटते हैं तो ऐसे जैसे नवागंतुक पंछी को बाज ले गया रिश्तों के तार जिन्हें जोड़ते जोड़ते एक उम्र निकल जाती है पर टुकड़े होने के लिए पल ...

सफर

तय कर रही हूं मैं सफर हवा के साथ बहने का सफर झोकों के साथ उड़ जाने का सफर आंधी में गुम हो जाने का सफर फुहारों में भीगने का सफर तेज धारों सेे छुपने का सफर मुसलदार बरसात में आशिया...

कौन हो तुम?

कौन हो तुम क्या लगते हो मेरे क्या रिश्ता है हमारा नही जान सकी हूं अब तक पर जानना चाहती हूं क्यों तुम दिल के इतने करीब हो क्यों तुम हमेशा साथ रहते हो क्यों तुम्हारा साथ छोड़ने ...

हिस्सेदार

धीरे धीरे वो हिस्सेदार बना पहले बातों का और फिर यादों का और अब मेरा यूं तो वो अलग है मीलों दूर है पर उसका अहसास साथ है वो खामोश है कुछ जताता नहीं है लेकिन इससे रिश्ता और गहरा ज...