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Showing posts from 2018

नया साल

जिसे तुम कहते हो नया साल मुझे तो उसमें कुछ ऐसा नहीं दिखता जिसके लिए मैं जश्न मनाऊँ ये सुबह भी बीती सुबहों जैसी अकेली ही थी चाय की चुस्कियां लेते वक़्त आज भी सिर्फ यादें ही सा...

किरदार

ना सिग्नल थे ना सोशल मीडिया ना दोस्तों का हुजूम ना ही पहचाना शहर बस तुम थे और जीवन का सफर तुम तुम जैसे थे मैं मैं जैसी ना कोई वादे थे ना कोई बंदिशें बस दो किरदार थे अपने आप को ख...

जिंदगी

लंबे सफर में जब मीलों तक कोई आस पास नहीं दिखता लोगों से भरे हुए सड़क पर जब शोर नहीं सुनाई देता सिर्फ तभी मुझे कितनी साफ नजर आती हो तुम जिंदगी। -- शालिनी पाण्डेय

सर्दी के एक रोज

सर्दी के एक रोज मैं ताप रही थी एक रिश्ते की गर्माहट को आंखे मूंदे थाप रही थी साथ वाली तस्वीर को  आती सांस के साथ पाट रही थी बीच के फैसलों को और लकीरों पर सजा रही थी तुम्हारे न...

रिक्तता

कही भीतर कुछ है जो भरने की कोशिश में लगा है पर इसके बावजूद भी खाली सा रह जाता है। दिन की रोशनी में लगता है पूरा हो रहा है लेकिन रात फिर इसे अधूरा कर जाती है क्या ये तुम्हारे आन...

मैं तुझे जोड़ देती हूं

मैं तुझे जोड़ देती हूं हर उस कविता से हर उस कहानी से हर उस गीत से जिनमें आस है मिलन की मैं तुझे जोड़ देती हूं हर उस शेर से हर उस ग़ज़ल से हर उस दृश्य से जिसमें टीस है बिछड़न की मैं तुझ...

टक्कर

राह चलते वो मुझसे टकराई थोड़ा पास आयी और मुस्काई मेरी रूह बेनूर हो गई नजदीकियां जब यूँ टकराई -शालिनी पाण्डेय

कौन

मैं कौन हूं? ये प्रश्न बार बार मेरे सामने आता है कई बार खुद ब खुद कई बार लाया जाता है मैं कविता हूं नहीं, मैं कहानी हूं जिसका अंत होता है मैं क्या हूं? क्या मैं सचमुच कुछ हूं? क्य...

वक़्त के इंतजार में

वक़्त के इंतजार में दो राही ताक रहे थे राह सोच रहे थे कब आएगी राहें वो आसान ठहरे रहे आस लिए पर ढल गयी जीवन की सांझ अब यूं ही सबके लिए थोड़े आती राहें वो आसान। -शालिनी पाण्डेय

मैं

मैं तुम्हें बुनना चाहती थी लेकिन तुम उधड़ते गए मैं सम्हलना चाहती थी लेकिन गिरती रही मैं सुंदरता चाहती थी लेकिन जर्जर होती गई मैं तुम्हें सांसें देना चाहती थी लेकिन जल कर ख...

मैं चाहती थी

मैं चाहती थी तुम्हारी बाहें थामे लंबी सड़क पे चलना । तेरे काँधे पर सिर टिकाये समुद्र को देखना । मैं चाहती थी तुम्हारे साथ तन्हाई के कुछ लम्हें बांटना । सीमाओं को लांघकर तु...

टूटना

मैं बिगाड़ देना चाहती हूं तुम्हारे चित्र को लेक़िन इस क़यास में वो बनता ही जाता है । मैं बिखेर देना चाहती हूं तुम्हारे होने के अहसास को पर हर बिखराव के साथ वो गहराता जाता है। ब...

तुम

तुम हमेशा भागते रहे मुझसे और इस करीबी से लेकिन मैं कहाँ जाती मेरे पास तो ये भी नहीं बचा। अब तुम ही बताओ क्या कोई खुद से भाग पाया? -शालिनी पाण्डेय

तुम

जब तुम थक जाओगे लुक्का छिप्पी खेलते हुए या फिर पा लोगे उसे खोजते खोजते शायद तब तुम अहसास हो मैंने तुम्हें पहले ही खोज लिया था बस तुम ही नहीं समझे। -शालिनी पाण्डेय

मैं तुझे खोजती हूं

मैं तुझे खोजती हूं, हर जगह खोजती हूं, कोरे पन्नों में, उर्दू के हर्फों में, पाश की कविताओं में, साहिर के गीतों में, जगजीत की गज़लों में, जॉन के शेरों में, रेख़्ता की शायरी में, आषाढ़ के एक दिन में, इतना ही काफी नहीं मैं फिर तुझे खोजती हूं गलियों में, तस्वीरों में, अनजान चेहरों में, बातों में, मैं तुझे ढूढ़ती हूं कांपती ठंड में, घुप अंधेरे में, बीतते पलों में, आते ख्यालों में, खुद को भी इतना नहीं खोजा जितना तुझे खोजती हूं जाने क्यूं मैं बार - बार तुझे ही खोजती हूं। -शालिनी पाण्डेय

तठस्थता

तुम्हारे दूर होने पर भी मैं भावों में डूबी रहती हूं और मेरे समीप होने पर भी तुम इतने तटस्थ कैसे रह लेते हो? -शालिनी पाण्डेय 

अहसास

रोज़ बातें और मुलाकातें इतनी भी जरूरी नहीं,  तेरे होने का अहसास ही काफी है मेरे लिए....  ये ख़ामोशी और फ़ासले इतने भी नही अखरते अब कहीं भी रहे तू हर पल करीब ही है मेरे लिए......  -शालिनी पाण्डेय

Sip of tea

Each morning I start my day by pouring your memories into my cup of tea I stir them slowly and with each sip of my morning tea I wish there will be one fine morning when I will be sharing this sip with you my love. - Shalini Pandey

Some Days

There are days some are like pink, some are like blues.  There are days with glittering shines, with ominous shadows.   On some days sunshine peeps into room While on other It's filled with hell darkness On some days gentle breeze touch my soul like a music On other days it crush me hard like a stone Some days passes smooth like flow of holy river While some are hard to sail through. I think it is one such day which seems like passing silently But inside me is crying loud in separation of my beloved. - Shalini Pandey

खोजी मन

ये हर वक़्त क्या खोजता रहता है तू क्या ढूढ़ता है मेरे वजूद को ? या तराशता है मेरी शक़्ल को ? क्या खोजता है मेरे दर का रास्ता ? या मुझे पढ़ने की कोई किताब ढूढ़ता है ? या ढूढ़ता है हमारे उस आशियां की चाभी जो खो दी थी सर्कस देखते हुए कभी तो बता - ये हर वक़्त क्या खोजता रहता है तू? -शालिनी पाण्डेय

फूल और पात

कभी खिल जाती हूँ फूल सी कभी झड़ जाती हूँ पात सी मैं रोज अधूरी ही रह जाती हूं अनकही किसी बात सी। -शालिनी पाण्डेय

अनबूझी पहेली

कभी शांत सी कभी उदास सी कभी आनंदित सी कभी हताश सी मैं कभी बिखरी सी कभी सिमटी सी कभी पूनम सी कभी अमावस सी मैं कभी नदी सी कभी सैलाब सी कभी बयार सी कभी चक्रवात सी मैं कभी उथले शब्...

यादों की दस्तक़

तेरी यादों की दस्तक़ मेरी दहलीज़ पर अब तो रोज ही होती है घण्टों ये अब मुझसे बातें करने लगी है घर के कोनों पर इकट्ठा भी होने लगी है ज्यादा हो जाने पर किवाड़ों से झांकने लगी है इनम...

रात के घने अंधेरे में

रात के घने अंधेरे में भी जाने कैसे लिख लेती है चादर पर तेरा नाम ये अंगुलियां करवटे लेते हुए जाने कैसे पहुँच जाते है तेरे लब मेरे ख्वाब के जाम पर सिरहाने के पास ही जाने कैसे न...

मोहब्बत

तन्हाई में भी तन्हा ना होने दे मोहब्बत, रुसवाइयों में भी रुसवा ना होने दे मोहब्बत। यादों की एक महफ़िल है मोहब्बत, जब तू नहीं तो तेरा जिक्र है मोहब्बत। -शालिनी पाण्डेय

निःशब्द

जब मैं तुम्हें सोचते सोचते हो जाती हूँ निःशब्द, मुझे जाने क्यूं लगता है बिन लफ़्ज़ों के भी कह आयी हूं तुमसे सारी दास्तां। अब तुम ही बताओ क्या तुमने सुनी! - शालिनी पाण्डेय

जी चाहता है

आग से तपी वो सूरत जिसे एक टक देखने रहने को जी चाहता है। सर्द हवाओं से जकड़ रहा वो चेहरा जिसे लौ से सुलगाने को जी चाहता है। पतझड़ से सूख रहे वो होंठ, जिन्हें चूमने को जी चाहता है। ब...

फ़ासले

यूं तो मुझे मालूम है कि फ़ासले है और रहेंगें, पर कभी ये फ़ासले तनहाइयों को इतना गहरा जाते है कि मन डूब सा जाता है । तुम कहो तो इन फ़ासलों को बांधकर एक पुल बना कर तुम्हारे पास आ जाऊ...

ईर्ष्या

यूं तो ये अच्छी बात है कि बुढ़ज्यूँ मन लगा कर रात भर काम  कर रहे थे। लेकिन बुढ़िया है कि उसे चैन नही पड़ता। कभी इधर को करवट बदलती, कभी उधर को, कभी उठ कर बैठ जाती, कभी पुरानी तस्वीरों ...

रात का सन्नाटा

वो सच्चा अटपटा सा ज़िद्दी स्वभाव वाला कुछ ऐब रखने वाला मानुष जिसकी चुप्पी में मुझे महसूस होती है गहराई ना जाने क्यूं मन को भा गया छलावे की संसार से दूर विचारों की दुनिया में...

वो यही कही है पास में

सूरज की गुनगुनी धूप में पहाड़ों पे ढ़लती सांझ में सूखे पत्तों की सरसराहट में आंगन में बहती बयार में वो यही कही है पास में सुबह अध खुली आँखों में दिनभर की भागा दौड़ी में शाम की स...

बवंडर

राहें मोहब्बत की वो संकरी गली जो भरी थी भावों के सैलाब से इस सैलाब में धीरे से मैंने कस्ती उतारी सोचा उसे साथ लेकर बाहर निकल आऊंगी पर मुझे कहा खबर थी कस्ती को बहाने वाले उस ब...

यादों की सलवटें

हर रात में अपने दिल की चादर बिछाती हूं जिसपे तू सुबह यादों की सलवटें छोड़ जाता है। शायद मेरी आँख लगने के बाद चुपके से तू आया होगा पास आकर बैठा देर तक मुझे निहारता रहा होगा शाय...

मैं शायर

सुबह हुई और हमनें तुम्हें याद किया सिर झुका तो इबादत के लिए पर तुम्हें सलाम किया                         -शालिनी पाण्डेय

मेरे करीबी

तेरी आवाज के लिए घंटों इंतजार करना उठते ही तेरी खैरियत की दुआ करना तेरी खुशियों पर खुश हो जाना तेरे गमों से दुखी हो जाना तेरी सफलता पर जश्न मनाना तेरी असफलता में साथ निभान...

इश्क़

ना जानें क्यूं इश्क़ हमें देर से हुआ लेकिन जब हुआ तो बेहिसाब हुआ और तुम्ही से ना जाने क्यों हुआ तुम्हारी इश्क़ करने की उम्र ना रही तो क्या करे अब उम्र पर तो कम्बख्त हमारा जोर ना...

छुट्टी का दिन

छुट्टी का दिन भी बेहतरीन होता है तू फुर्सत में बेहद करीब होता है तेरी बातें, मुलाकातें बहुत याद आती है प्यार भरी इन यादों से तन्हाई और गहराती है यूं ही बैठे बैठे ख्यालों की ...

तमन्ना

नशा ये इश्क़ का यूं चढ़ा बावरी सी फिरूं और चाहूँ महफ़िल का जाम बन तेरे लबों को छूना सर्द हवा बन बदन की खुशबू चुराना लहू की बूंद बन तेरे भीतर समाना तू ही दुआ है और तू ही आरजू सोचती ...

मैं शायर

तुम्हारी ख़ामोश निगाहें  क्या कोई इशारा है जिसे मैं समझ नही पाती - शालिनी पाण्डेय

मैं शायर

न कुछ साथ आया था, ना कुछ साथ जाएगा खुल कर जियेगा तो शायद कुछ निशा छोड़ जाएगा। -शालिनी पाण्डेय

मैं शायर

सुबह सुबह तेरी यादों की बरसात मुझे तर कर जाती है घंटों इसमें भीगने के बाद भी ये दिनभर  मुझपर टपकती रहती है।                  -शालिनी पाण्डेय

Together With You

I wanna........ laugh all my laughter cry all my sorrows celebrate all the feast and all the starve with you I wanna ......... hold your hand for forever rest on your shoulder sit next to each other listen to you non stop I wanna ........ lay side by side feel the warmth of yours pour all my love onto you attend you with all my consciousnesses I wanna ...... hold you in my heart forever sync my heartbeats with yours connect my soul with yours sing a song of love with you -Shalini Pandey

मेरे भीतर

अधरों को करीब लाकर प्यासा छोड़ गए हो, मन के आंगन में दस्तक दे तन्हा छोड़ गए हो, तुम अपना एक हिस्सा मेरे भीतर घोल गए हो, ये किस नारीत्व को मेरे भीतर खोल गए हो ?? - शालिनी पाण्डेय

मैं शायर

रुक गई ये निगाहें तेरे दर पे आके, आगे तेरी मर्जी साथ ले या लौटा दे। -शालिनी पाण्डेय

शायद

कुछ ख्वाहिशें आज़ाद हो रही है कुछ बंदिशे टूट सी रही है एक कोंपल खिल रही है वो ज़र्द पेड़ मुरझा सा रहा है मीठा सा दर्द हो रहा है कुछ घाव भर से रहे है वो खालीपन सिमट रहा है शायद प्यार...

मुलाकात

उस मुलाक़ात के बाद थोड़ी मैं तेरे पास ही रह गयी और मैं लौट आयी थोड़ा तुझको लिए। - शालिनी पाण्डेय

यादों का गुलदस्ता

जा रही हूं मैं यादों का गुलदस्ता लिए, लंबे इंतजार के बाद हुई मुलाकात लिए। तुझे छू कर निकले वक़्त का स्पर्श लिए, तेरे लबों पे आई दबी सी मुस्कान लिए, तेरे साथ खामोशी में बिताये ह...